Friday 7 September 2018

GURU

गुरु,शिक्षक, मार्गदर्शक, ये सिर्फ कोरे शब्द नहीं हैं बल्कि हमारे भविष्य को रचने वाले रचनाकार, कलाकार हैं| गुरु ही हैं जो हमें हमारे अतीत के अन्धकार से निकालते हैं, हमारे वर्त्तमान को संवारते हैं और हमारे भविष्य को प्रकाशमय करते हैं |
पौराणिक काल से भारतवर्ष में गुरु शिष्य परंपरा चली आ रही है | अद्वेतारक उपनिषद में लिखा है :-
गु शब्द स्त्वन्ध्कारः स्यात् रु शब्द स्तन्निरोधकः|
अन्धकार निरोधित्वात गुरुरित्यभिधीयते ||
गुरु दो शब्दों से बना है, ‘गु’ और ‘रु’ पहले शब्द का अर्थ है अन्धकार और दुसरे शब्द का अर्थ है अन्धकार से निकालने वाला |
भगवद गीता की चौथे अध्याय में श्रीकृष्ण अर्जुन से गुरु के बारे कहते हैं:-
तद्विधि प्रनिपातेन परिप्रश्नेन सेवया |
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ग्यानिंस्त्त्वदर्शिनः ||४:३४||
हे अर्जुन उस ज्ञान को तू तत्वदर्शी ज्ञानियों के समक्ष जाकर, उनको भली भाँती दंडवत प्रणाम करने से उनकी सेवा करने से और कपट का त्याग कर सरलतापूर्वक प्रश्न करने से वे भली भांति जाननेवाले ज्ञानी महात्मा तुझे उस तत्वज्ञान का उपदेश देंगे |
आदि शंकराचार्य ने कहा है कि ज्ञान देने का सबसे सही तरीका है मार्गदशन करना ना कि विद्यार्थी के सवालों का त्वरित उत्तर देना | शिक्षक को चाहिए कि वो अपने विद्यार्थियों से संवाद करें ताकि वो जवाब को खोज कर समझ सकें |
गुरु के बिना गती नहीं मिलती | लेकिन हर कोई आपका गुरु नहीं बन सकता | ग्रंथों ने भी कहा है कि सही गुरु को ढूंढते समय मनुष्य को अपने विवेक और लगन का प्रयोग करना चाहिए |
कुल अर्नव तंत्र में लिखा है कि :-
शिष्यों से धनार्जन करने वाले, उनको धनविहीन करने वाले अनेकों अनेक गुरु मिलेंगे, लेकिन अपने शिष्य को कष्टों से निवारण दिलाने वाला गुरु बहुत कठिनाई से मिलते हैं |
आज Indian Education System बहुत ही दयनीय स्थिति में है | आज schools में सिर्फ रट्टा लगाने वाले पैदा हो रहे हैं | आज लोगों के पास marks बहुत हैं लेकिन ज्ञान नहीं | Schools अपने exterior और interior पे करोड़ों खर्च कर रहे हैं लेकिन education पर नहीं | Education महंगे schools या AC Classrooms से नहीं आता | आज education का मकसद सिर्फ पैसा कमाना ही रह गया है | Values, Morals, Ethics इन सब की अहमियत रही ही नहीं | ज्ञान का वजूद ख़त्म होता जा रहा है |
आज शिक्षकों पे जिम्मेदारी आन पड़ी है कि ज्ञान का प्रकाश एक बार फिर से फैलाएँ | एक शिक्षक शाम दाम दंड भेद का मिश्रण होना चाहिए | एक शिक्षक अगर शिक्षा देने से कतराता है, एक शिक्षक अगर अपने students से भयभीत होता है और एक शिक्षक अगर ज्ञान को सिर्फ पैसे से तौलता है तो वो शिक्षक है ही नहीं |
इस video के माध्यम से मैं हर गुरु का धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने directly\indirectly मुझे सदमार्ग दिखाया और ज्ञान रूपी महासागर में गोता लगाना सिखाया | मैं अपने सभी students का भी धन्यवाद करता हूँ क्योंकि हर दिन आपसे बहुत कुछ सिखने को मिलता है | आइये हम सब मिलकर गुरु शिष्य के इस पावन परंपरा को आगे बढ़ाते हैं और ज्ञान का आदान प्रदान और प्रसार करते हैं |
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरुदेवो महेश्वरः |
गुरु साक्षात परम ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवेनमः ||